India Longest Bridge: भारत में सड़क और रेल संपर्क को मज़बूत बनाने के लिए पिछले कुछ दशकों में कई विशाल पुलों का निर्माण हुआ है. ये पुल नदियों, घाटियों और समुद्रों को पार करने में न केवल सहायक हैं, बल्कि देश के आर्थिक और सामरिक ढांचे को भी सुदृढ़ करते हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको भारत के 5 सबसे लंबे और महत्वपूर्ण पुलों की जानकारी देंगे, जो इंजीनियरिंग के बेहतरीन नमूने हैं.
- भूपेन हजारिका ब्रिज (ढोला-सादिया ब्रिज), असम – 9.15 किलोमीटर
भारत का सबसे लंबा पुल भूपेन हजारिका ब्रिज है, जिसे ढोला-सादिया ब्रिज भी कहा जाता है. यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है और लोहित नदी पर बना है.
- कुल लंबाई: 9.15 KM
- निर्माण वर्ष: 2017
- विशेषता: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, खासकर चीन सीमा के पास स्थित क्षेत्रों के लिए
- लाभ: सेना की त्वरित आवाजाही और स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान
- महात्मा गांधी सेतु, पटना (बिहार) – 5.75 किलोमीटर
गंगा नदी पर बना यह ऐतिहासिक पुल बिहार की राजधानी पटना को हाजीपुर से जोड़ता है. यह भारत के सबसे पुराने और लंबे पुलों में शामिल है.
- कुल लंबाई: 5.75 KM
- निर्माण वर्ष: 1982
- विशेषता: उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला प्रमुख सेतु
- वर्तमान स्थिति: नवीनीकरण और मरम्मत के कार्य जारी
- बांद्रा-वर्ली सी लिंक, मुंबई (महाराष्ट्र) – 5.6 किलोमीटर
यह पुल एक केबल-स्टे ब्रिज है जो मुंबई के बांद्रा और वर्ली को जोड़ता है. समुद्र के ऊपर बना यह पुल एक आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जाता है.
- कुल लंबाई: 5.6 KM
- निर्माण वर्ष: 2009
- विशेषता: यातायात जाम में भारी कमी, समुद्र के ऊपर बना स्टाइलिश ब्रिज
- पर्यटन में योगदान: मुंबई की पहचान बन चुका है यह पुल
- बोगीबील ब्रिज, असम – 4.9 किलोमीटर
बोगीबील ब्रिज एक डबल डेकर ब्रिज है जो सड़क और रेलवे दोनों का संचालन करता है. यह ब्रह्मपुत्र नदी पर बना है और भारत का पहला पूरी तरह वेल्डेड स्टील ब्रिज है.
- कुल लंबाई: 4.94 KM
- निर्माण वर्ष: 2018
- विशेषता: रेल और सड़क दोनों के लिए उपयुक्त
- सामरिक उपयोग: भारत-चीन सीमा की ओर सेना की पहुंच को तेज करता है
- विक्रमशिला सेतु, भागलपुर (बिहार) – 4.7 किलोमीटर
गंगा नदी पर बना यह पुल बिहार के भागलपुर जिले में स्थित है और उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच आवागमन को आसान बनाता है.
- कुल लंबाई: 4.7 KM
- निर्माण वर्ष: 2001
- विशेषता: ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार और आवागमन को सरल बनाता है
- दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, बिहार – 4.5 किलोमीटर
इस रेल-सह-सड़क पुल को जयप्रकाश नारायण सेतु भी कहा जाता है. यह पटना के दीघा और सोनपुर को जोड़ता है.
- कुल लंबाई: 4.5 KM
- निर्माण वर्ष: 2016
- विशेषता: रेल और सड़क का संयुक्त पुल, दो जिलों को जोड़ता है
- लाभ: पटना से सोनपुर की दूरी अब मिनटों में पूरी
इन पुलों की खास बातें क्या हैं?
- आर्थिक लाभ: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के व्यापार को जोड़ते हैं
- यातायात सुधार: सड़क और रेल के सफर को तेज और आसान बनाते हैं
- सैन्य रणनीति: सीमावर्ती क्षेत्रों में फौज की तेज़ तैनाती के लिए उपयोगी
- पर्यटन में सहयोग: कई पुल खुद एक पर्यटक स्थल बन चुके हैं
भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण
इन विशाल पुलों का निर्माण भारत की आधुनिक इंजीनियरिंग की सक्षमता, नवाचार और विकास को दर्शाता है. ये सेतु ना केवल राज्यों को जोड़ते हैं, बल्कि देश की एकता और विकास को भी आगे बढ़ाते हैं.