भारत में आयकर (Income Tax) चुकाना हर टैक्स स्लैब में आने वाले नागरिक की कानूनी जिम्मेदारी है. हर साल बजट के दौरान टैक्स छूट और दरों में बदलाव को लेकर चर्चाएं होती हैं. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी राज्य है, जहां के लोगों को किसी भी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. यह राज्य है सिक्किम, जो अपनी अनोखी ऐतिहासिक और संवैधानिक स्थिति के चलते पूरी तरह टैक्स फ्री है.
सिक्किम को टैक्स फ्री क्यों घोषित किया गया?
पूर्वोत्तर भारत का खूबसूरत राज्य सिक्किम, भारत का इकलौता राज्य है जहां नागरिकों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. इसकी वजह है भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA).
सिक्किम 1975 से पहले तक एक स्वतंत्र रियासत था और भारत से उसका विलय कुछ शर्तों के तहत हुआ. उन्हीं शर्तों में से एक यह भी थी कि राज्य की पुरानी टैक्स व्यवस्था बनी रहेगी, यानी वहां के लोगों पर भारत के सामान्य इनकम टैक्स कानून लागू नहीं होंगे.
धारा 10 (26AAA) क्या कहती है?
साल 2008 में भारतीय सरकार ने आयकर अधिनियम में धारा 10 (26AAA) को शामिल किया. इसके तहत, सिक्किम के अधिवासियों को उनकी आय चाहे किसी भी स्रोत से हो — नौकरी, व्यापार या ब्याज — टैक्स नहीं देना पड़ता. यह विशेष छूट उन व्यक्तियों को मिलती है जो 26 अप्रैल 1975 से पहले सिक्किम के निवासी (domicile) रहे हैं.
कौन हैं इस टैक्स छूट के योग्य?
इस प्रावधान का लाभ उन्हीं लोगों को मिलता है जो:
- 1975 से पहले सिक्किम में अधिवासी थे
- सिक्किम में ही आय का स्रोत है (जैसे व्यापार, नौकरी या स्थानीय बैंक ब्याज)
- अब भी सिक्किम में ही रह रहे हैं
किन परिस्थितियों में नहीं मिलता टैक्स छूट का लाभ?
हालांकि यह छूट हर किसी को नहीं मिलती. कुछ विशेष परिस्थितियों में सिक्किम के लोग भी इस टैक्स छूट से बाहर हो जाते हैं:
अगर कोई अन्य राज्य से आकर सिक्किम में बसता है, तो उसे यह छूट नहीं मिलेगी
अगर कोई सिक्किम का निवासी है लेकिन वह किसी अन्य राज्य में कमाई कर रहा है, तो उस आय पर टैक्स देना होगा
जो व्यक्ति सिक्किम का अधिवासी नहीं है, उन्हें भारतीय आयकर अधिनियम के तहत कर चुकाना ही होगा
सिक्किम के लोग इसे क्यों अपनी पहचान मानते हैं?
सिक्किम के नागरिक इस विशेष टैक्स छूट को सिर्फ आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक मानते हैं. उनका मानना है कि भारत से विलय की ऐतिहासिक शर्तों का सम्मान होना चाहिए, और यह छूट उस सम्मान का हिस्सा है.
यह प्रावधान उन्हें अन्य राज्यों से अलग पहचान भी देता है, जिससे उनकी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा होती है.
टैक्स फ्री व्यवस्था पर उठते हैं सवाल भी
जहां सिक्किम के लोग इसे अपना विशेषाधिकार मानते हैं, वहीं देश के कुछ अन्य हिस्सों में यह सवाल उठता है कि क्या टैक्स नीति में ऐसा भेदभाव सही है?
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे देशभर में टैक्स समानता का सिद्धांत कमजोर पड़ता है, लेकिन संवैधानिक प्रावधानों के तहत इसे कानूनी वैधता मिली हुई है.
ऐतिहासिक और संवैधानिक विश्लेषण
भारत में अन्य राज्यों को भी कुछ मामलों में संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष दर्जा मिला हुआ है, लेकिन सिक्किम का मामला अलग है.
यह एकमात्र राज्य है जहां की आयकर प्रणाली को संघीय कर व्यवस्था से अलग रखा गया है. इस निर्णय की जड़ें ऐतिहासिक समझौते और राजनीतिक संवेदनशीलता में छिपी हैं, जिन्हें अब तक भारत सरकार ने बनाए रखा है.