JCB Color: भारत में निर्माण कार्य के दौरान सबसे आम तौर पर दिखने वाली मशीनों में से एक है JCB. चाहे सड़कों की खुदाई हो या इमारतों की नींव तैयार करनी हो, JCB मशीन की मौजूदगी लगभग तय मानी जाती है. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि JCB मशीनें हमेशा पीले रंग की ही क्यों होती हैं?
JCB मशीन का पुराना रंग कुछ और था
JCB यानी बैकहो लोडर मशीन की शुरुआत सन् 1953 में हुई थी. उस वक्त यह मशीन नीले और लाल रंग में आती थी. लेकिन कुछ वर्षों के बाद इसके रंग में बड़ा बदलाव किया गया और इसे पूरी तरह पीले रंग में रंगा जाने लगा. इसके पीछे एक सोच और वैज्ञानिक कारण छिपा है.
पीला रंग क्यों चुना गया? जानिए वैज्ञानिक कारण
पीले रंग को दूरी से भी आसानी से देखा जा सकता है. इसका प्रकाश परावर्तन यानी रिफ्लेक्शन काफी अच्छा होता है. इसी वजह से यह रंग कम रोशनी या धूलभरे वातावरण में भी साफ नजर आता है. निर्माण स्थलों पर जहां अक्सर धूल और गड़बड़ी रहती है, वहां इस रंग की मशीन जल्दी नजर आ जाती है और इससे हादसे की संभावना कम हो जाती है.
सुरक्षा और दृश्यता के लिए है पीला रंग जरूरी
JCB मशीनें आमतौर पर खतरनाक और भारी कामों के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. ऐसे में उनका आसानी से दिखना जरूरी होता है, ताकि अन्य वाहन, मजदूर और तकनीकी स्टाफ समय रहते सतर्क हो सकें. इसलिए पीला रंग सुरक्षा के लिहाज से सबसे उपयुक्त माना गया.
आज भी जारी है पीले रंग की परंपरा
हालांकि तकनीक में काफी बदलाव आ चुका है, लेकिन JCB मशीन का पीला रंग आज भी बरकरार है. ये रंग अब ब्रांड की पहचान भी बन चुका है. जब भी कोई पीली बड़ी खुदाई मशीन दिखती है, लोग तुरंत पहचान लेते हैं कि यह JCB है. इस तरह रंग का चुनाव न सिर्फ सुरक्षा के लिए, बल्कि ब्रांडिंग के लिए भी कारगर साबित हुआ.