School Holiday देशभर में 9 जुलाई को बड़े पैमाने पर भारत बंद का ऐलान किया गया है. इस बंद में बैंकिंग, बीमा, पोस्टल, कोयला, परिवहन और निर्माण जैसे कई अहम सेक्टरों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर इस बंद का आह्वान किया है, जिसका असर पूरे देश में व्यापक रूप से देखा जा सकता है.
बैंक, पोस्ट ऑफिस और ट्रांसपोर्ट सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे
हिंद मजदूर सभा के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह सिद्धू ने बताया कि बंद का व्यापक असर पूरे देश में देखने को मिलेगा. बैंकिंग सेवाएं, पोस्ट ऑफिस, कोल माइनिंग यूनिट्स, फैक्ट्रियां और राज्य परिवहन सेवाएं ठप हो सकती हैं. इस दिन आम जनता को अनेक जरूरी सेवाओं में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है.
स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे या नहीं?
9 जुलाई को स्कूल और कॉलेज बंद रखने को लेकर केंद्र या राज्य सरकारों ने अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. इसका मतलब है कि अधिकतर जगहों पर स्कूल और कॉलेज खुले रहेंगे और कक्षाएं सामान्य रूप से संचालित होंगी. हालांकि, कुछ जिला या स्थानीय प्रशासन स्थिति के अनुसार निर्णय ले सकते हैं.
बैंक खुले रहेंगे लेकिन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं
RBI की छुट्टियों की लिस्ट के अनुसार 9 जुलाई को बैंकों में कोई छुट्टी नहीं है, लेकिन भारत बंद के कारण बैंकिंग सेवाएं बाधित हो सकती हैं. कई बैंक कर्मचारी संगठन इस हड़ताल में भाग लेने जा रहे हैं.
PTI रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल प्रोविंशियल बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन (AIBEA से संबद्ध) और अन्य बैंक संगठनों ने भारत बंद को समर्थन दिया है. इसके साथ ही, बीमा सेक्टर के कर्मचारी भी इस विरोध में शामिल होंगे.
बिजली आपूर्ति पर भी दिख सकता है असर
बिजली विभाग के करीब 27 लाख कर्मचारी भी इस बंद का हिस्सा बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका है. देश के कई हिस्सों में लाइट कट या वोल्टेज की समस्या सामने आ सकती है.
ट्रेन सेवाओं पर क्या होगा असर?
फिलहाल रेलवे यूनियनों की तरफ से कोई हड़ताल की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन भारत बंद के चलते ट्रेनों की टाइमिंग पर असर पड़ सकता है. कुछ रूट्स पर ट्रेनें देरी से चल सकती हैं या अस्थायी व्यवधान आ सकता है.
भारत बंद की वजह क्या है? क्यों हो रहा है आंदोलन?
भारत बंद का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने मिलकर किया है. इन यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन नहीं कर रही है.
उनका आरोप है कि सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण –
- बेरोजगारी में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है
- मजदूरी में गिरावट आई है
- महंगाई बेकाबू हो चुकी है
- यूनियन नेताओं ने यह भी कहा कि देश की 65 फीसदी युवा आबादी को सरकार लगातार नजरअंदाज कर रही है, और 20 से 25 वर्ष के युवाओं में सबसे ज्यादा बेरोजगारी देखने को मिल रही है.
सरकार से क्या हैं मांगें?
ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगें हैं –
- श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों पर रोक लगाई जाए
- महंगाई और बेरोजगारी पर सरकार ठोस कदम उठाए
- निजीकरण पर लगाम लगे और सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत किया जाए
- न्यूनतम वेतन और पेंशन की गारंटी दी जाए
आम लोगों को क्या करना चाहिए?
9 जुलाई को भारत बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं जैसे अस्पताल, एंबुलेंस, दवाइयों की दुकानें आदि सामान्य रूप से कार्यरत रहेंगी, लेकिन बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट और बिजली जैसी सेवाओं में बाधा आ सकती है. ऐसे में नागरिकों को एहतियातन अपने जरूरी काम एक दिन पहले निपटा लेने की सलाह दी गई है.