75 साल पुराने पेड़ों को मिलेगी सरकारी पेंशन, सालाना मिलेंगे 3000 रूपए Old Tree Pension Scheme

Old Tree Pension Scheme: करनाल जिले के पुंडरक गांव के रहने वाले ललित कुमार इस योजना का लाभ उठाने वाले किसानों में से एक हैं. उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने 78 साल पहले आम का पेड़ लगाया था, जिसकी देखभाल अब उनका पूरा परिवार कर रहा है. इस पेड़ को सरकारी योजना के तहत चिन्हित किया गया है और पेंशन दी जा रही है.

जिले में अब तक 112 पेड़ों को मिल चुकी है पेंशन

करनाल फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी पवन शर्मा ने बताया कि सरकार ने पुराने पेड़ों को पेंशन देने का निर्णय एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लिया है. उन्होंने कहा कि जैसे 60 वर्ष की आयु पार करने के बाद बुजुर्गों को पेंशन मिलती है, वैसे ही 75 साल से अधिक पुराने पेड़ों की देखभाल करने वाले परिवारों को भी यह आर्थिक सहायता दी जा रही है.

अब तक 112 पेड़ों को पेंशन मिल चुकी है, जबकि 55 अन्य पेड़ों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें जल्द योजना में शामिल किया जाएगा.

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4000 पेड़ योजना की सीमा में, जल्द मिल सकती है सहायता

यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की सोच से प्रेरित होकर शुरू की गई थी. पूरे हरियाणा में करीब 4000 पेड़ों की पहचान कर उन्हें पेंशन योजना के तहत लाया जा रहा है.

वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस योजना से लोगों में पेड़ों को लेकर जिम्मेदारी और संवेदनशीलता बढ़ी है, जिससे पेड़ लगाने और उनके संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है.

पेड़ को बचाने के लिए जरूरी है रखरखाव

फॉरेस्ट अधिकारी पवन शर्मा ने बताया कि पुराने पेड़ों को जीवित रखने और उनकी वृद्धि बनाए रखने के लिए उचित देखभाल बहुत जरूरी होती है. इसके लिए खाद, मिट्टी, पानी और शाखाओं की समय-समय पर छंटाई करनी पड़ती है.

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इस योजना से उन लोगों को वित्तीय मदद मिलती है जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते. इससे पेड़ों के सूखने या कटने की घटनाओं में भी कमी आई है.

पर्यावरण सुधार में पेड़ों का योगदान

वन अधिकारी ने लोगों से अपील की कि देश और प्रदेश की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर नागरिक को पेड़ लगाने और उनकी देखभाल के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि जितने अधिक पेड़ लगाए जाएंगे, प्रदूषण उतना ही कम होगा और जीवन उतना ही बेहतर.

पेड़ के साथ पीढ़ियों का रिश्ता

ललित कुमार बताते हैं कि वह खुद 40 साल के हैं और उनके बचपन से ही उनके पिता और चाचा उस आम के पेड़ की देखभाल करते आ रहे हैं, जिसे उनकी दादी ने लगाया था. पेड़ उनके खेतों के बीच में लगा है, जहां से उसे रोजाना पानी और खाद दी जाती है.

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ललित ने कहा कि उन्हें एक बार सरकार से पेंशन मिल चुकी है और वह इस योजना से बेहद संतुष्ट हैं. उन्होंने अन्य लोगों से भी पेड़ लगाने और काटने से बचने की अपील की, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ वातावरण मिल सके.

लोगों में दिखा सकारात्मक रुझान

ललित कुमार के मुताबिक, पेड़ों की पेंशन योजना के बाद लोगों में पेड़ों के प्रति लगाव बढ़ा है. अब अधिक लोग पेड़ों को काटने की बजाय उन्हें संरक्षित करने और नया वृक्षारोपण करने में रुचि दिखा रहे हैं.

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